Monday, June 18, 2012

~ मृत्यु के रूप [...types of death...]


वैसे देखा जाये तो दोस्तों, मृत्यु का सीधा अर्थ एक ये भी है कि जीवन रूपी चक्र का समाप्त होना| मृत्यु के कई रूप होते हैं| कोई भी प्राणी यह नहीं आँक सकता कि मृत्यु कब उसके जीवन के दरवाज़े पर उसकी छवि बनाएगी| कोई किसी रोग से पीड़ित होकर मरता है, तो कोई दुर्घटना का शिकार होता है; कोई दिल कि धड़कन के बंद होने से मरता है, तो कोई मृत्यु को जबरदस्ती गले लगा लेता है| अतः देखा जाये तो मृत्यु एक तरह से अनहोनी है जिसे कोई नहीं टाल सकता| सारे प्राणियों का जीवनकाल पहले से ही लिखा जाता है, जीवनचक्र पहले से ही तय रहता है| और जीवनकाल के समाप्त होते ही मृत्यु उसे गले लगा लेती है| इसलिए कहा जाता है कि, दुनिया में बहुत सारे प्रश्न है - "इस दुनिया में सबसे बड़ा सच क्या है ?" तो इसका उत्तर एक ही है - मृत्यु और केवल मृत्यु| अतः इस कलयुग में अपने को अमर समझना बहुत ही बड़ी भूल है|

दोस्तों, अबतक तो आप मृत्यु से अवगत हो ही चुके है| अब मैं एक गूढ़ सच्चाई के बारे में बताना चाहता हूँ| जैसा कि मृत्यु के प्रकारों के बारे में जाना| अतः यहाँ प्रश्न यह है कि मृत्यु अलग-अलग रूपों में हमारे जीवन में क्यूँ आती है ? इस प्रश्न के उत्तर की सीमा तो बहुत है लेकिन मैं यहाँ संछिप्त रूप में इसे उजागर करना चाहता हूँ| दोस्तों, हमारे कर्मों के अनुसार ही मृत्यु का रूप तय होता है| यहाँ कर्म अर्थात कार्य / काम - किसी भी इंसान के जीवन का पुरे काल में जो कार्य करना होता है, या हम करते रहते है| अतः पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार या फिर अभी के कर्मों के अनुसार ही मृत्यु अपना रुप लेती है| इसलिए ये मनुष्य के कर्म पर निर्भर करता है की वह किस प्रकार की मृत्यु को प्राप्त करेगा| इस सन्दर्भ में कुछ उदाहरण हैं दोस्तों जिसको मैं पेश करना चाहता हूँ ::-

~ जैसे कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को शत्रु के रूप में मानकर उसे गाड़ी से कुचल देता है तो अगले जन्म में उस व्यक्ति की मृत्यु किसी ऐसे ही दुर्घटना में होगी|
~ मान लीजिये कोई इंसान किसी जन्म में जमींदार रहता है और किसी किसान को बहुत सताता है, मरता है, पीटता है ; चाहे कोई भी कारण हो| ऐसी स्थिति में दो रूप हो सकते है; या तो वह किसान जमींदार की यातना सहते-सहते मृत्यु हो जाये, या फिर खुद ही मृत्यु को प्राप्त हो जाये| तो फिर यहाँ कालचक्र ऐसा रूप लेती है कि वही किसान अगले जन्म में या तो जमींदार के रूप में आता है और वह जमींदार किसान के रूप में; या फिर वह किसान किसी बड़े जानवर जैसे बाघ और वह जमींदार किसी छोटे जानवर जैसे हिरण का रूप धारण करता है| तो इस अवस्था में या तो वह जमींदार किसान होने के बाद बहुत कष्ट पाकर वैसी ही मृत्यु को प्राप्त होगा, या फिर वह हिरण उस बाघ का शिकार हो जायेगा| और यही नियति है दोस्तों, जो कि अटल है|

अतः इस तरह के ऐसे अनेक प्रकार कि मृत्यु है जिनसे प्रत्येक प्राणी अपने कर्मों के अनुसार अवगत होता है|
इस दुनिया में ऐसे कई लोग है, जिन्होंने मृत्यु को करीब से देखा है, जाना है, महसूस किया है| मृत्यु के दरवाज़े के अन्दर जाकर वे फिर से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकलने में समर्थ हुए है| ऐसा भी कर्म-चक्र के फलस्वरूप ही होता है| अतः इसके कई कारण हो सकते है| उन प्राणियों को मृत्यु से अवगत कराया जाता है| अतः ऐसी बहुत साडी सत्य घटनाएँ है, जिसमे लोग मर के फिर जी उठे है| मृत्यु को समझना उतना भी कठिन नहीं है लेकिन उसे प्राप्त करना बहुत ही आसान है| जबतक कि कालचक्र पूरा नहीं हो जाता, वह व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त नहीं हो सकता| लेकिन अंततः मृत्यु अटल है|

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