Saturday, June 16, 2012

आत्महत्या के भयावह परिणाम [...dangerous results of suicide...]


आत्महत्या..., वैसे देखा जाय तो दोस्तों आत्महत्या करना कितना ही आसान है| आये दिन लोग आत्महत्या करते ही है| चाहे कारण कुछ भी हो| कोई प्यार में नाकामयाबी के कारण तो कोई अच्छे नंबर नहीं लाने पर, तो कोई अपने घर-परिवार की अशांतियों के कारण तो कोई बहुत तनाव के कारण| स्थितियाँ चाहे कुछ भी हो, आत्महत्या करना तो आजकल एक फैशन बन गया है, एक चलन बन गया है| इंसान को लगता है की अगर अपने दुखों से छुटकारा पाना है तो आत्महत्या कर लो| बस उन्हें और कुछ नहीं दिखाई देता| वे समझते है कि यही इसका उपाय है, चाहे कुछ भी हो जाये ; कम-से-कम छुटकारा तो मिल जायेगा| लेकिन वे ये नहीं जानते कि इसके बाद उनकी आत्मा के साथ या कहा जाये तो मरने के बाद उनके साथ क्या होगा| आत्महत्या को हर पुराणों में भी एक पाप कहा गया है| दरअसल एक बहुत बड़ा पाप| लोग ये नहीं समझते कि आत्महत्या करने से मौत तो तुरंत हो जाती है, लेकिन आत्मा को कितना कष्ट पहुँचता है इसके बारे में अंदाज़ा नहीं लगाते| क्यूंकि उन्हें तो बस छुटकारा चाहिए, चाहे कैसे भी मिले, और बाद में इसका क्या परिणाम हो, कोई फर्क नहीं पड़ता|

आत्महत्या करना बहुत ही सरल है, लेकिन उसके परिणामों को झेलना बहुत ही कठिन और भयावह| तो दोस्तों मैं इस शीर्षक के सन्दर्भ में यही कहना चाहता हूँ कि आत्महत्या करने के क्या-क्या परिणाम हो सकते हैं| जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि आत्महत्या करने से आत्मा बहुत ही तड़प-तड़प कर मरती है| लेकिन इसके बाद हमलोग निश्चित रूप से नरक को ही जाते है| नरक में तो जैसे कई स्तर है, तो उन सभी स्तरों में सबसे निम्न स्तर में आत्महत्या करने वालों को जगह मिलती है| एक तो नरक में स्थान और ऊपर से एकदम निम्न स्तर में| इन आत्माओं कि तुरंत मुक्ति भी नहीं हो सकती| ये इतने वर्षों से भटकते रहते हैं कि उन्हें खुद भी नहीं पता चलता ; और लेकिन यातनायें भी उन्हें सहनी पड़ती हैं| ऐसी-ऐसी वेदनायें जिनकी तो कोई सपने में भी कल्पना नहीं कर सकता|

व्यक्ति जिस चीज़ से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या करता है, उस चीज़ से वह कभी छुटकारा पा ही नहीं सकता| दरअसल वही चीज़ उसे नरक में आ घेरती है| मेरे कहने का तात्पर्य है कि जैसे किसी इंसान ने आत्महत्या की क्यूंकि वह पढ़ाई नहीं करता था और उसके पिताजी उसे बहुत डाटते थे| अब अगर वह इंसान इसी झंझट से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या कर लेता है, तो उसे नरक में भी वही फिर से झेलना पड़ता है| वही पिताजी की रोज की डाट, सारी घटना जो पृथ्वी-लोक में उसके साथ घटती है, फिर से नरक में भी उसके साथ घटेगी| जिस वजह से वह छुटकारा पाने का कोशिश किया था, वही वजह उसका मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती| आप ही सोचिये ज़रा अगर ऐसा नहीं होता इस संसार में आजकल हर के मन में तनाव इतना बढ़ गया है कि तब सारे व्यक्ति ही आत्महत्या कर लेते, और उन्हें हर चीज़ से छुटकारा मिल जाता| एक ही बार में काम ख़त्म|

मैं यहाँ कुछ उदाहरण बताने जा रहा हूँ, जिससे आपको कुछ स्थितियों के बारे में पता चलेगा कि काफी वर्ष बिताने के बाद क्या होता है इन निम्न स्तरों में... !!!

~ जैसे कुछ स्तरों में एक बहुत छोटा सा छेद है, जिसको अगर कोई पार कर ले तो स्वर्ग में पहुँच जाये| अर्थात इस छेद के उस तरफ प्रकाश-ही-प्रकाश है, स्वर्ग का आनंद है| लेकिन उसको पार करने में बड़ा ही कष्ट है| क्यूंकि उसे पार करने में अगर बीच में अटक जाये तो कमर टूट जाने की आशंका रहती है, हाथ-पैर तक अलग हो सकते है| और और ऐसा होने पर तो फिर वही रह जाना पड़ता है| और अगर पार कर गए तो अलौकिक स्वर्गीय आनंद| प्रायः ऐसा होता नहीं है| ये जरुर हो सकता है कि आप पार कर गए हों, लेकिन कई सैकड़ों वर्षों बाद| पर आपको उसके पहले तक कि सारी पीडायें सहनी होंगी| और दूसरी बात ये भी हो सकती है कि, आपके जाननेवाले आत्मायें आपको उस छेद से अपनी तरफ खिंच ले| क्यूंकि उस छेद के उस पार अनेक ऐसी आत्माएं घूम रही है जो स्वर्ग कि उच्च-स्तरीय आत्माएं होती हैं| और जो कि हो सकता है आपको जानती भी हों|

~ ऐसे स्तरों में कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं, जिसमे कि आप नदी के इस पार है जो कि नरक है और नदी के उस पार स्वर्ग जैसी अनुभूति है| बहुत सारी पुण्य-आत्माएं नदी के उस पार भगवान् का भजन-कीर्तन कर रही हैं| लेकिन नदी छोटी होने के बावजूद भी पार करना बहुत कठिन है| क्यूंकि नदी में अनेक ऐसे जीव है जैसे साँप, मगरमच्छ, खूंखार बड़ी मछलियाँ जो कि ताक लगाये रहती है शिकार के लिए| और अगर उनके जंजाल में फंस जाये तो फिर आप निकल ही नहीं सकते|

कुछ तो ऐसी भी है कि एक बहुत संकरा, लम्बा-सा रास्ता है, जिसे तय करके स्वर्ग के पहले स्तर ताक पहुंचा जा सकता है| परन्तु यहाँ भी उस रस्ते को पार करना आसान नहीं है| उस रस्ते के दायें और बाएं दोनों तरफ या तो खाई है या फिर खूंखार भेड़िये, बाघ जो ऊपर कि ओर मुँह करके खड़े है| एक बार कोई फिसला ऊपर से कि बस एकदम नीचे और उसके बाद दोस्तों आप समझ ही सकते है कि क्या हो सकता है|

दोस्तों..., आत्महत्या करने के बाद कि दुर्दशा बहुत ही खतरनाक और भयंकर होती है| इस नरक के निम्न स्तर पर पहुँचने के बाद भूख लगने पर भी भूख नहीं मिटती और न ही प्यास बुझती है| कोसों तक जैसे कोई मरुस्थल फैला हो| एकदम निर्जन, एकदम शांत| सिर्फ बुरी-बुरी आत्माएं घूम रही है| सब जैसे अकेले है| चारों तरफ हर जगह अँधेरा ही अँधेरा| कही रौशनी की कोई गुंजाईश ही नहीं है| न सूर्य की कोई किरण है, और न चाँद का प्रकाश|
अतः दोस्तों सही मायने में कहा जाये चाहे कितना भी कष्ट क्यूँ न हो, आत्महत्या एकदम नहीं करनी चाहिए| उसे गले नहीं लगाना चाहिए| क्यूंकि जिस वजह से हमलोग उससे पीछा छुड़ाने की कोशिश करते है, वो हमारा पीछा छोड़ती ही नहीं है| जिंदगी यूँ ही इतनी सरल नहीं है| ठीक है तनाव होती है बहुत, लेकिन आत्महत्या ही उसका उत्तर या उपाय नहीं है| दुःख के बाद सुख आती ही है| बस समय की देरी होती है| और ऐसा इसलिए भी होता है की आप जरुर ही पिछले जन्म में कोई पाप किये होंगे, तभी ऐसा दुःख आपके जीवन में दस्तक देता है| उपाय यही है की भगवान् का साथ न छोड़े उस समय, क्यूंकि जिन्होंने दुःख दिया है वही उसे दूर भी करेंगे| बस जरुरत है तो सिर्फ उनपर आस्था की, विश्वास की|

नोट - मेरी माने तो कोई भी अगर आत्महत्या करने की सोचे या कोशिश भी करे तो उसे तुरंत मना करे ऐसा करने को... !!!

10 comments:

Unknown said...

आपने सही कहा एक दम खुद तो परेशान होता हे।
आत्महत्या करने वाला दुसरो को भी परेशान करता हे।
खुद की आत्मा की शान्ती के लिए।
और एक बार आत्म हत्या करने वाला 7 बार आत्महत्या करता हे। जन्म ले ले कर

Unknown said...

आपने सही कहा एक दम खुद तो परेशान होता हे।
आत्महत्या करने वाला दुसरो को भी परेशान करता हे।
खुद की आत्मा की शान्ती के लिए।
और एक बार आत्म हत्या करने वाला 7 बार आत्महत्या करता हे। जन्म ले ले कर

Unknown said...

लेकिन इस जन्‍म से तो घुटकारा मिलता है

Unknown said...

आखिर मनुष्य कब तक इन परिस्तथियों का सामना करता रहेगा, क्या संसारिक और सामाजिक दुःख, कष्ट, क्लेश,पापो से मुक्ति का कोई उपाय नही हैं।

Unknown said...

He faultu blog hai sab bakawas likha hai esse

Tripathi Vikas Bharti said...

सब के अपने अपने विचार है

Tripathi Vikas Bharti said...

मेरे ब्लॉग में अपने विचार बताओ

Gunjan said...

Aisa situation paida hota h atmahatya karna pasta h

Unknown said...

Achha koi gyani pandit ye baat btaiye ki grqntho me btaya h ki jab Iksha purti bardan ke liye kisi ne bgwan ko apna sir kaat kr diya to kiss ne samqdhi li ...jese Kai example ek ravan

Unknown said...

Bhai nee bilkul sahi likha hai ...or ye blog muje bhut pasand aaya...purano me agar koi baat likhi hai to vah nischa hi Satya hogi.or atam hatya mean atma ki hatya uski hatya Karne ka pap hum nhi kar sakte..Gita me saaf likha hai atam ko kast phuchane vala sabse bada papi hota hai...

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