Friday, January 6, 2012

भाग ९

अंत में बबलू के बार-बार मीना के तरफ आकृष्ट होने के कारण देवी बबलू और नेहा से बोली की अब इसको पृथ्वी में जाना ही पड़ेगा पुनर्जन्म के लिए| मैं इसे उसी माता के गोद में भेजूँगी, जहाँ इसका कुछ समय पहले जन्म हुआ था| और उधर मीना को भी बहुत पछतावा हो रहा है, अतः उसे भी एक बार पृथ्वी लोक भेजती हूँ| लेकिन मीना का जन्म इसके जन्म के पाँच वर्ष बाद होगा| दोनों का जन्म एक ही जगह होगा| ये दोनों फिर मिलेंगे एवं इनका विवाह भी होगा| और फिर देवी की अनुकम्पा से ऐसा ही हुआ| दोनों का फिर से जन्म हुआ| और फिर क्या वही चक्र शुरू| धीरे-धीरे समय बीतता गया| इधर नेहा और ऊपर के स्तर में पहुँच गयी| उसकी सारी कामनाएं अब खत्म हो चुकी थी|

तो दोस्तों, हमारे जीवन का चक्र कुछ ऐसे ही शुरू होता है| सारी बातें निर्भर करती है तो सिर्फ अपने पुराने और इस जन्म के कर्म-फल पर| जो जैसा बोयेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा| यहाँ और वहाँ सब कुछ हमारे ही हाथों में है|

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